Caneup.in गन्ने की ये नई तकनीक आपको कर देगी मालामाल

गन्ने की ये नई तकनीक आपको कर देगी मालामाल 

आप सभी ने गन्ने तो आपने खाएं हीं होंगे अगर आप शहर में रहते हैं तो आप ने गन्ने के जूस का ठेला भी ज़रूर देखा होगा । अगर आप गांव में रहते हैं तो अपने खेतों में गन्ने को भी जरूर देखा होगा । और यहां तक कि गांव में रहने वालों ने तो खेतों में जाकर खूब सारे गन्ने तोड़ कर खाए भी होंगे वैसे क्या आप जानते हैं गन्ने की खेती करने में भारत दूसरे नंबर पर आता है और वही बात की जाएगी उपयोग कि तो भी भारत दूसरे नंबर पर ही आता है ।और यहां तक कि गन्ने से जूस शक्कर गुड और चीनी जैसी चीजें बनाई जाती है। अगर आप भी गन्ने की खेती करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपके लिए हमारा यह आर्टिकल खास होने वाला है कृपया हमारे इस लेख को ध्यान से पढ़ें।

गन्ने की खेती करने के लिए सही मिट्टी का चुनाव करने की आवश्यकता होती है हम आपको बता दें कि जल निकासी वाली तो मठ मिट्टी गन्ने की खेती के लिए सर्वोत्तम होती है लेकिन अलग-अलग जगह पर अलग-अलग मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि लाल दोमट लेटराइट  काली मिट्टी इत्यादि गन्ना 2 तरीकों से उगाया जाता है। एक बीज द्वारा एवं  दूसरा गन्ने के तने के द्वारा इन दोनों में काफी बड़ा अंतर होता है

इसे भी पढ़ें:-अगर आप बीज द्वारा बोना चाहते हैं तो इसमें तने बोने के मुकाबले रोग और कीटनाशक लगने की संभावना ज्यादा होती है अगर आप तने द्वारा बोते हैं तो आप की फसल भी काफी अच्छी होगी गन्ने की बुवाई काई  तरीके से की जा सकती है और भारत के हर राज्य में अलग-अलग स्थिति में अलग तरीका अपनाया जाता है सबसे पहला तरीका फ्लैट रोपण का होता है नाली को दो से ढाई फीट की दूरी पर बनाया जाता है  नालियों के बनने के बाद इसमें तीन आंख वाले गन्ने के टुकड़े को डालकर इसे ऊपर से सम तल कर दिया जाता है आजकल के समय में भी किसान इस परंपरागत तकनीक से गन्ने की खेती की रोपाई करना पसंद करते हैं अब ये भला आंख क्या होता है।

दोस्तों जैसे आलू के चारों तरफ नाच में आंख की तरह एक चंद्राकर होता है और चंद्राकर के बीच में एक छोटा उभरा सा भाग होता है दरअसल आलू के इसी जगह से नया पौधा निकलता है। इसी को आंख कहते हैं। इसी प्रकार गन्ने में ढेर सारे नोच यानी आंख पाए जाते हैं। गन्ना बोने के लिए इसी को जमीन में गाड़ दिया जाता है दूसरा तरीका फ्लोर रोपण का होता है इस तरह की रोपाई में नाली को तैयार किया जाता है यह नालियां दो से ढाई फुट की दूरी पर बनाई जाती है इन नालियों में बीज को 1 फुट की दूरी पर लगाना होता है और नालियों के अंत में जल को रोकने के लिए ओ डी बनाई जाती है ताकि कम बारिश होने पर भी खेत में पानी की कमी ना हो और अगर ज्यादा पानी हो तो एक साइड से इसे खोल दिया जाता है

गन्ने तीसरा तरीका ट्रेंस रोपड़ क्या है 

तीसरा तरीका ट्रेंस रोपड़ का होता है तटीय क्षेत्र में जहां पर बारिश लंबी हो जाती है और बारिश के मौसम में तेज हवाएं चलने लगती हैं ऐसे इलाकों में फसलोंको बचाने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है 70 से 90 सेंटीमीटर की दूरी पर 30 से 25 सेंटीमीटर की नालियां बनाई जाती है फिर इस में उर्वरकों का इस्तेमाल करके बाद में इसे समतल बुवाई वाली जगह पर हल्की मिट्टी से भर दिया जाता है

ट्रैक्टर और मशीनों से बीजों की बुवाई की जाती है गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई भी काफी मायने रखती है गन्ने की खेती नम भूमि में की जाती है इसे शुरुआत में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती लेकिन गर्मियों के मौसम में इसे हफ्ते में एक बार पानी देना होता है और वही सर्दी में 15 से 20 दिन के अंतराल में पानी देने की आवश्यकता होती है और बारिश के मौसम में पौधों की रोपाई आवश्यकता पड़ने पर ही की जाती है

गन्ने की फसल को कितनी बार काट सकते हैं

गन्ना 1 साल में तैयार हो जाता है गन्ना एक बार काटा जाता है यदि पानी और खाद की अच्छी व्यवस्था है तो आप कई सालों तक इस का  उत्पादन कर सकते हैं। अब बारी है गन्ने की कटाई गन्ने की कटाई कई तरीके से की जाती है एक तो हाथ के द्वारा और दूसरी मशीनों के द्वारा की जाती है। गन्ने की कटाई का सबसे पहला मेथड हाथ के द्वारा होता है। इसमें एक बड़े से चाकू के द्वारा मजदूर गन्ने को उसके सतह से काट देते हैं और फिर उसके ऊपर की पत्तियों को अलग कर दिया जाता है ।और गन्ने को एक गठरी में बांध दिया जाता है और हर एक गठरी में में 20 से 25 गन्ने बांधे जाते हैं ताकि उसे उठाने में आसानी हो जाती है ।

दोस्तों क्या आप जानते हैं गन्ने की पत्तियां बहुत रेतीली और फुल्ली वाली होती है तो इसलिए मजदूर अपने हाथों और पैरों में फुल कपड़े पहनते हैं पुराने जमाने में तो लोग लोहे की कवर हाथ में पहनते थे और क्या आपको मालूम है दोस्तों कई बार गन्ने के खेतों में आग लगा दी जाती है जिससे गन्ने की पत्तियां एवं आसपास की खरपतवार जल जाए और सिर्फ गन्ना बचे जोकि शुगर फैक्ट्री के लिए काफी अच्छा रहता है।

जिससे गन्ना काटने में भी आसानी रहती है लेकिन दोस्तों हम आपको बता दें यह तरीका यहां रहने वाले निवासियों के लिए नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है क्योंकि एट मोस्ट फेयर मैं एयर पोलूशन बढ़ जाता है। और आसपास रहने वाले और गन्ने के खेतों में काम करने वाले व्यक्तियों पर अक्सर लंग्स में कैंसर होने का खतरा बना रहता है।

गन्ने की खेत को जलाने की विधि को कई देशों में वेन लगा हुआ है लेकिन गवर्नमेंट की परमिशन से गन्ने के खेतों में आग लगाकर गन्ने की हरवेस्टिंग कर सकते हम आपको बता दें कि एक बार अमेरिका के फ्लोरिडा शहर में इस विधि का उपयोग करने से कई मजदूर बीमार पड़ गए थे। और चीनी बनाने वाली अमेरिका कंपनी को भारी मुआवजा देना पड़ा था। और कंपनी भी बंद हो गई थी।

दूसरा मेथड गन्ने की मशीन द्वारा कटाई की जाती है

यह एक ऐसी ऑटोमेटिक मशीन होती है। जिससे घंटों की गन्ना कटाई मिनटों में की जाती है। जैसे ही गन्ने कटाई करने वाली मशीन गन्ने के खेत में गन्ने के ऊपर चलती है। उसी वक्त गन्ने को अपनी तरफ खींच लेती है। इस मशीन द्वारा गन्ने छोटे-छोटे भागों में कट जाते हैं और उसके बाद ट्रैक्टर में ऑटोमेटिक एक्सीलेटर के द्वारा अपने आप डायरेक्ट चले जाते हैं। और जो गन्ने की पत्तियां होती हैं। दूसरी ओर से निकलकर खेतों में गिर जाती हैं।

इस प्रकार से गन्ने की कटाई की जाती है। और जब गन्ने की एक बार कटाई हो जाती है। जैसे ही गन्ने को गठरी में बांध दिया जाता है। फिर उसे ट्रैक्टर या गन्ना ले जाने वाले वाहन में लाद कर शुगर मिल में जाकर बेच दिया जाता है। और शुगर फैक्ट्री में जाकर गाने की चीनी बन जाती है लेकिन कुछ गन्ना किसान अपने गाने को मंडियों में भी बेच देते हैं और मंडियों में बेचे जाने वाले बन्ना गन्ने जूस द्वारा बेचा जाता है।
दोस्तों आज हमने आपको अपने इसलिए के माध्यम से गन्ने की फसल से जुड़ी बहुत जानकारी दी है

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